सोने की कीमतों में आज एक महत्वपूर्ण गिरावट देखी गई है, जिसका कारण लेबनान और इज़राइल के बीच संभावित संघर्ष विराम की उम्मीदें और स्कॉट बेसेंट की अमेरिका के वित्त मंत्री के रूप में नियुक्ति है। इस खबर ने बाजार में एक नया जोश भर दिया है, जिससे निवेशकों का नजरिया बदल रहा है।
सोने की कीमतें लगभग $100 गिर गई हैं, जब से बाजार में जोखिम लेने की भावना लौट आई है। इस सप्ताह की शुरुआत में लेबनान-इज़राइल समझौते का संदेह बाजार में छा गया है, जिसके अनुसार एक समझौता अगले 36 घंटों में हो सकता है। इस स्थिति ने सोने की कीमतों पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।
इसके साथ ही, राष्ट्रपति-elect डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा स्कॉट बेसेंट की वित्त मंत्री के रूप में नियुक्ति ने भी बाजार में स्थिरता का संकेत दिया है। उनकी वॉल स्ट्रीट का अनुभव और संतुलित नीतियों के प्रति प्रतिबद्धता ने निवेशकों को आश्वस्त किया है। इस नियुक्ति के बाद 10 वर्षीय ट्रेजरी यील्ड 4.3% तक गिर गई है, और डॉलर की ताकत भी कुछ हद तक कम हुई है।
सोने की कीमतों में गिरावट को देखते हुए, तकनीकी विश्लेषण के अनुसार, यह एक भालू की प्रवृत्ति दर्शाता है। हाल के सप्ताहों में सोने की कीमतें 100-दिन के MA पर समर्थन प्राप्त कर रही थीं, लेकिन अब यह $2700/औंस के स्तर से नीचे पहुंच गई हैं। संभावित समर्थन स्तर 2625 और 2600 के आसपास हैं।
हालांकि, रूस-यूक्रेन के बीच बढ़ती हुई स्थिति ने भी सोने की कीमतों पर प्रभाव डाला है। बाजार में यह चर्चा हो रही है कि यूके और फ्रांस ने यूक्रेन में सैन्य कर्मियों को तैनात करने की योजना बनाई है। यह एक बड़ा बदलाव हो सकता है, जिससे सोने की मांग प्रभावित हो सकती है।
इस सप्ताह FOMC मिनट्स जारी होने वाले हैं, जो हमें यह समझने में मदद करेंगे कि फेडरल रिजर्व ट्रम्प की राष्ट्रपति पद के संभावित नतीजों पर क्या सोचता है। हालांकि, फेड के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने कहा है कि राजनीति उनके नीतियों को प्रभावित नहीं करेगी, लेकिन बाजार में उनके प्रति प्रतिकूल प्रतिक्रिया हो सकती है।
तकनीकी दृष्टिकोण से, सोने की कीमतें 3.21% गिर गई हैं, और वर्तमान में Fibonacci retracement स्तर को देखते हुए, अगले स्तरों पर ध्यान देना जरूरी है। यदि सोने की कीमतें फिर से बढ़ती हैं, तो 2639 और 2650 के स्तर पर प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है।
सोने की कीमतों में यह गिरावट एक नई आर्थिक स्थिति के संकेत देती है। लेबनान-इज़राइल के बीच संभावित समझौते और स्कॉट बेसेंट की नियुक्ति ने बाजार की धारणा को बदल दिया है। आने वाले समय में, हमें इन घटनाओं के प्रभाव का गहराई से अध्ययन करने की आवश्यकता है, ताकि हम समझ सकें कि सोने की कीमतें किस दिशा में जाएंगी।
सोने की कीमतें क्यों गिरी हैं?
सोने की कीमतें लेबनान-इज़राइल के बीच संभावित संघर्ष विराम और स्कॉट बेसेंट की वित्त मंत्री के रूप में नियुक्ति के कारण गिरी हैं, जिससे जोखिम लेने की भावना बढ़ी है।
स्कॉट बेसेंट की नियुक्ति से बाजार में क्या बदलाव आया है?
स्कॉट बेसेंट की नियुक्ति ने निवेशकों को आश्वस्त किया है कि वे संतुलित नीतियों का पालन करेंगे, जिससे बाजार स्थिरता की ओर बढ़ा है।
क्या रूस-यूक्रेन का संकट सोने की कीमतों को प्रभावित करेगा?
रूस-यूक्रेन के बीच बढ़ती स्थिति संभावित रूप से सोने की मांग को बढ़ा सकती है, क्योंकि निवेशक सुरक्षित ठिकानों की तलाश में रहेंगे।
सोने की तकनीकी विश्लेषण क्या कहता है?
तकनीकी विश्लेषण के अनुसार, सोने की कीमतें भालू की प्रवृत्ति में हैं और संभावित समर्थन स्तर 2625 और 2600 के आसपास हैं।
क्या फेडरल रिजर्व की नीति ट्रम्प के प्रभाव से प्रभावित होगी?
हालांकि फेडरल रिजर्व ने कहा है कि उनकी नीति राजनीति से प्रभावित नहीं होगी, लेकिन ट्रम्प के बयान और योजनाओं का प्रभाव हो सकता है।
सोने की कीमतों में गिरावट कब तक रहेगी?
यह अनुमान लगाना मुश्किल है, लेकिन मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति और आर्थिक डेटा इसका निर्धारण कर सकते हैं।
क्या सोने में निवेश करना अभी सुरक्षित है?
सोने में निवेश करना हमेशा सुरक्षित माना जाता है, लेकिन वर्तमान बाजार की स्थिति को ध्यान में रखते हुए सावधानी बरतनी चाहिए।
सोने की कीमतों में गिरावट का असर अन्य धातुओं पर कैसे पड़ेगा?
सोने की कीमतों में गिरावट का असर अन्य कीमती धातुओं जैसे चांदी और प्लेटिनम पर भी पड़ सकता है, क्योंकि वे भी सुरक्षित ठिकाने के रूप में देखे जाते हैं।
क्या राजनीतिक नीतियां सोने की कीमतों को प्रभावित करती हैं?
हां, राजनीतिक नीतियों और आर्थिक योजनाओं का सोने की कीमतों पर सीधा प्रभाव पड़ता है, खासकर जब बात वैश्विक घटनाओं की होती है।
क्या सोने की कीमतें फिर से बढ़ेंगी?
भविष्य की घटनाएं और बाजार की प्रतिक्रिया इस प्रश्न का उत्तर देंगी, लेकिन भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक डेटा महत्वपूर्ण होंगे।
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