हाल ही में इजरायल और लेबनान के बीच संघर्ष ने एक गंभीर मोड़ लिया है। एक तरफ इजरायल ने बेरुत के केंद्रीय हिस्से में एक आवासीय इमारत पर एयरस्ट्राइक की, वहीं दूसरी तरफ हिज़्बुल्लाह ने इजरायल पर रॉकेट और ड्रोन हमले किए। यह घटनाक्रम एक नए cease-fire की घोषणा से पहले हुआ, जो दोनों पक्षों के लिए जरूरी था। इस स्थिति की गहराई समझने के लिए, हम मध्य पूर्व संस्थान की रंदा स्लीम और कार्नेगी एंडॉमेंट के आरोन डेविड मिलर से जुड़ते हैं, जिन्होंने दोनों डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन प्रशासन में स्टेट डिपार्टमेंट के साथ काम किया है।
आरोन डेविड मिलर से बातचीत करते हुए, मैंने उनसे पूछा कि क्या उन्हें लगता है कि यह cease-fire agreement सफल होगा। उन्होंने कहा, “मैं आपसे पूछना चाहूँगा, और मैं इसे हल्का नहीं ले रहा हूँ, 30 दिनों बाद मुझसे पूछिए।” उन्होंने स्पष्ट किया कि यह समझौता मुख्य रूप से इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू की इच्छा और हिज़्बुल्लाह की आवश्यकता के कारण किया गया है।
मिलर ने यह भी कहा कि इस समझौते के टिकाऊ बने रहने की संभावनाएँ इस बात पर निर्भर करेंगी कि अमेरिका इजरायल को उल्लंघनों के प्रति कितनी स्वतंत्रता देता है। इसके अलावा, क्या लेबनानी सशस्त्र बल इस तरह से कार्य करेंगे कि वे हिज़्बुल्लाह के उल्लंघनों को रोक सकें? उन्होंने बताया कि कुछ हद तक, नेतन्याहू और हिज़्बुल्लाह के बीच इस समझौते को लेकर एक तात्कालिकता की भावना है।
हालांकि, उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यह कहना जल्दबाजी होगी कि 30 दिन बाद यह समझौता महीनों तक चलेगा। यह स्थिति बहुत नाजुक है और कई अनिश्चितताओं के कारण यह समझौता टिकने की संभावना नहीं है।
इस संघर्ष ने न केवल इजरायल और लेबनान के बीच की स्थिति को प्रभावित किया है, बल्कि इससे पूरे मध्य पूर्व में तनाव बढ़ सकता है। आगामी दिनों में यह समझौता कितना टिकाऊ होगा, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। क्या यह स्थायी शांति की ओर पहला कदम होगा, या फिर केवल एक अस्थायी समाधान? यह सवाल हमें सोचने पर मजबूर करता है।
क्या यह cease-fire agreement वास्तव में टिकाऊ है?
यह समझौता कई कारणों से नाजुक है, और इसकी सफलता कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे अमेरिका की भूमिका और लेबनानी सशस्त्र बलों की कार्रवाई।
क्या हिज़्बुल्लाह और इजराइल के बीच तनाव बढ़ सकता है?
यदि समझौते का पालन नहीं किया जाता है, तो तनाव बढ़ने की संभावना है।
क्या अमेरिका का इस समझौते में कोई भूमिका है?
हाँ, अमेरिका की भूमिका समझौते की सफलता में महत्वपूर्ण है, खासकर इजरायल को उल्लंघनों के प्रति कितनी स्वतंत्रता दी जाती है।
क्या यह समझौता स्थायी शांति की दिशा में एक कदम है?
यह समझौता स्थायी शांति की दिशा में एक शुरुआत हो सकता है, लेकिन इसके टिकाऊ बने रहने की संभावना संदिग्ध है।
क्या लेबनानी सशस्त्र बल हिज़्बुल्लाह के उल्लंघनों को रोकने में सक्षम हैं?
यह इस बात पर निर्भर करता है कि वे कितने सक्रिय और सक्षम हैं।
क्या Netanyahu और Hezbollah इस समझौते को बनाए रखने में रुचि रखते हैं?
दोनों पक्षों को इस समझौते में रुचि है, लेकिन उनकी दीर्घकालिक योजनाएँ भिन्न हो सकती हैं।
इस समझौते के बाद क्षेत्र में क्या होगा?
यह समझौता क्षेत्र की स्थिति को प्रभावित कर सकता है, लेकिन इसके परिणाम अनिश्चित हैं।
क्या यह समझौता किसी अन्य संघर्ष को जन्म दे सकता है?
यदि यह समझौता सफल नहीं होता है, तो यह अन्य संघर्षों को जन्म दे सकता है।
क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय की इस मामले में कोई भूमिका है?
हाँ, अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है, खासकर शांति की स्थापना में।
क्या इस क्षेत्र में कोई अन्य प्रमुख खिलाड़ी हैं?
हाँ, कई अन्य देश और संगठन इस संघर्ष में रुचि रखते हैं और उनकी भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।
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