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उत्तर कोरिया की योजनाओं में चुनौतियाँ

परिचय

उत्तर कोरिया एक ऐसा देश है जहाँ नीतियों की घोषणा और उनके कार्यान्वयन के बीच अक्सर भारी असमानता देखने को मिलती है। प्योंगयांग की इतिहास पर नज़र डालें, तो यह स्पष्ट होता है कि सार्वजनिक वादों को पूरा करने में उनकी असफलता एक सामान्य परिघटना रही है। इस लेख में हम उत्तर कोरिया के विभिन्न ऐतिहासिक वादों, उनके कार्यान्वयन में बाधाओं और भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा करेंगे।

मुख्य सामग्री

उत्तर कोरिया के संस्थापक किम इल सुंग का लक्ष्य हमेशा उत्तर-दक्षिण पुनर्मिलन रहा है। 1948 में देश की स्थापना के बाद से, किम इल सुंग ने इस लक्ष्य को प्राथमिकता दी। कोरियाई युद्ध ने इस पुनर्मिलन के लिए एक बलात्कारी प्रयास किया, लेकिन अमेरिका की दखलंदाजी के बाद यह लक्ष्य असंभव हो गया। इसके बाद, प्योंगयांग ने आतंकवाद का सहारा लिया, लेकिन दक्षिण कोरिया को कमजोर करने में भी असफल रहा। आज के समय में, उत्तर कोरियाई द्वारा पुनर्मिलन की कल्पना करना भी कठिन है, और किम के पोते, किम जोंग उन ने अपने तरीके से यथार्थवाद को अपनाया है, जो अपने देश के मूल लक्ष्यों को स्पष्ट रूप से खारिज करता है।

शीत युद्ध के बाद के दशकों में, उत्तर कोरिया ने खुद को “धरती पर स्वर्ग” कहा। आज भी, स्कूलों में यह नारा लिखा होता है, “हमारे पास दुनिया में किसी भी चीज़ की कमी नहीं है।” यह प्रचार 1960 के दशक तक प्रभावी रहा, जब दक्षिण कोरिया भी गरीब था, लेकिन दोनों देशों के बीच आर्थिक असमानता धीरे-धीरे बढ़ती गई। शीत युद्ध के अंत के बाद, उत्तर कोरिया के हालात अत्यंत कठिन हो गए। हालाँकि 1990 के दशक के बाद कुछ सुधार हुए हैं, फिर भी ग्रामीण इलाकों में खाद्य संकट जारी है।

किम इल सुंग ने “साम्यवाद की पूर्ण विजय” को अपने संविधान में शामिल किया। इस समय मान लिया गया था कि पूरे कोरियाई प्रायद्वीप, जिसमें दक्षिण भी शामिल था, में साम्यवादी क्रांति होगी। उनके बेटे किम जोंग इल ने “मजबूत और समृद्ध समाजवादी राष्ट्र (Gangseongdaeguk)” का लक्ष्य रखा। यह “मजबूत और समृद्ध राष्ट्र” तीन स्तंभों पर आधारित था: एक राजनीतिक और वैचारिक, एक सैन्य और तीसरा आर्थिक। उत्तर कोरिया ने यह तय किया कि पहले दो स्तंभ पूरे मानकों पर पहुँच चुके हैं और आर्थिक निर्माण को एक केंद्रीय राष्ट्रीय मुद्दा मान लिया गया।

किम जोंग इल ने “मजबूत और समृद्ध राष्ट्र” का उद्घोष करते हुए 2012 तक इसकी उपलब्धि का दावा किया, जो किम इल सुंग की जन्मशती का साल था। यह नारा जनता में आर्थिक विकास की उम्मीद जगाने के लिए था, लेकिन किम जोंग इल के अचानक निधन के बाद, यह विचार धीरे-धीरे समाप्त हो गया। किम जोंग उन, जो अपनी 20 के दशक में सर्वोच्च नेता बने, स्विट्ज़रलैंड में अपने मध्य और उच्च विद्यालय के वर्षों का अनुभव रखते हैं। उनकी नई पीढ़ी की सोच उन्हें अपने देश की स्थिति को बेहतर समझने में मदद करती है, लेकिन उन्हें भी आदर्शों और वास्तविकता के बीच संघर्ष का सामना करना पड़ता है।

COVID-19 महामारी ने पूरी दुनिया के लिए आर्थिक संकट पैदा किया, लेकिन उत्तर कोरिया के लिए यह समय एकदम गलत था। 2018 में, तीन इंटर-कोरियन समिट और उत्तर कोरिया-यूएस सिंगापुर समिट आयोजित हुई, लेकिन इसके अगले वर्ष, अमेरिका के साथ असफल वार्ताओं के बाद, उत्तर कोरिया सुरक्षा गारंटी या प्रतिबंधों में आंशिक छूट भी प्राप्त नहीं कर सका। इसके तुरंत बाद महामारी ने सीमाओं को बंद कर दिया, जिससे उत्तर कोरिया की आर्थिक स्थिति और भी कठिन हो गई।

किम जोंग उन ने देश के स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की कमजोरी को पहचानते हुए प्योंगयांग जनरल अस्पताल के निर्माण का आदेश दिया। हालाँकि, इस महत्वपूर्ण परियोजना पर मीडिया की रिपोर्टिंग कहीं न कहीं रुक गई। उपग्रह तस्वीरों से पता चलता है कि इस बड़े भवन का निर्माण जल्दी पूरा हुआ, लेकिन आवश्यक चिकित्सा उपकरणों और दवाओं की भारी कमी हो सकती है। अस्पताल के उद्घाटन पर कोई बात नहीं हुई, क्योंकि महामारी अपने आप खत्म हो गई।

यह विफलता केवल दक्षिण कोरिया के खिलाफ या एकीकरण मुद्दों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि चुनावी कानूनों में भी बदलाव आए हैं। पिछले वर्ष, चुनाव कानूनों में संशोधन किया गया और प्रतिस्पर्धा के सिद्धांत को सीमित रूप से पेश किया गया। यह कदम जनता पर दबाव को कम करने के लिए उठाया गया था, लेकिन अब तक सुप्रीम पीपुल्स असेंबली के प्रतिनिधियों के चुनाव की कोई प्रक्रिया नहीं हुई है, जो मार्च में होनी थी।

वहीं, किम जोंग उन ने इस वर्ष तीन अतिरिक्त टोही उपग्रह लॉन्च करने की बात की, लेकिन केवल एक उपग्रह मई में लॉन्च किया गया, जो विफल रहा। अगले वर्ष “राष्ट्रीय रक्षा विज्ञान और हथियार प्रणाली के विकास के लिए पांच वर्षीय योजना” का अंतिम वर्ष है, जिसे 2021 में घोषित किया गया था। उत्तर कोरिया के लिए परमाणु पनडुब्बियों का अधिग्रहण एक लक्ष्य है, लेकिन इस योजना के अनुसार यह अभी भी काफी दूर है। जबकि पड़ोसी देश यह चाहते हैं कि उत्तर कोरिया अपने सार्वजनिक वादों को पूरा न करे, वे अभी भी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि वह भविष्य में उन्हें पूरा कर सकता है।

निष्कर्ष

कुल मिलाकर, उत्तर कोरिया के लिए वादों और वास्तविकता के बीच की खाई गहरी होती जा रही है। यह प्रश्न उठता है कि क्या किम जोंग उन अपने पूर्वजों की नीतियों को आगे बढ़ा पाएंगे या फिर उन्हें भी असफलता का सामना करना पड़ेगा। वैश्विक स्तर पर इसके क्या निहितार्थ हो सकते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।

FAQs

क्या उत्तर कोरिया ने अपने सार्वजनिक वादों को कभी पूरा किया है?

उत्तर कोरिया ने कई बार अपने सार्वजनिक वादों को पूरा नहीं किया है, विशेष रूप से दक्षिण कोरिया के खिलाफ और आर्थिक विकास के मुद्दों पर।

किम जोंग उन का शासन कैसा है?

किम जोंग उन ने अपने शासन में कुछ सुधारों का प्रयास किया है, लेकिन आर्थिक समस्याएं और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध उनके प्रयासों को विफल कर रहे हैं।

क्या COVID-19 ने उत्तर कोरिया की स्थिति को प्रभावित किया?

हाँ, COVID-19 ने उत्तर कोरिया की आर्थिक स्थिति को और खराब कर दिया है, क्योंकि सीमाएं बंद होने से व्यापार प्रभावित हुआ है।

किम जोंग इल की “मजबूत और समृद्ध राष्ट्र” योजना का क्या हुआ?

किम जोंग इल की योजना का अंत उनके अचानक निधन के कारण हुआ, और इसे धीरे-धीरे समाप्त कर दिया गया।

क्या उत्तर कोरिया चुनावों का आयोजन करेगा?

हालांकि चुनाव कानूनों में संशोधन किया गया है, लेकिन अभी तक चुनावों का आयोजन नहीं हुआ है।

क्या उत्तर कोरिया परमाणु पनडुब्बियों का विकास कर रहा है?

उत्तर कोरिया ने परमाणु पनडुब्बियों के विकास का लक्ष्य रखा है, लेकिन इसमें अभी भी काफी समय लगेगा।

क्या उत्तर कोरिया के पास एक मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली है?

उत्तर कोरिया की स्वास्थ्य प्रणाली कमजोर है, जिसका जिक्र किम जोंग उन ने भी किया था।

क्या उत्तर कोरिया ने अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों को पार किया है?

उत्तर कोरिया ने कुछ प्रयास किए हैं, लेकिन कड़े अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण इसे मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

क्या उत्तर कोरिया अपने वादों को पूरा कर सकता है?

भविष्य में उत्तर कोरिया के वादों को पूरा करने की संभावनाएँ संदिग्ध हैं, खासकर वर्तमान आर्थिक और राजनीतिक स्थिति को देखते हुए।

किम जोंग उन का नेतृत्व किस दिशा में जा रहा है?

किम जोंग उन का नेतृत्व आदर्शों और वास्तविकता के बीच संघर्ष में है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या होता है।

Tags

उत्तर कोरिया, किम जोंग उन, COVID-19, परमाणु पनडुब्बियाँ, दक्षिण कोरिया, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध, स्वास्थ्य प्रणाली, चुनाव, सामाजिक नीति, आर्थिक संकट

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